Shodashi - An Overview

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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, where rituals and offerings are made in her honor. These observances undoubtedly are a testament to her enduring allure as well as the profound effect she has on her devotees' life.

सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥

सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

This mantra is undoubtedly an invocation to Tripura Sundari, the deity getting resolved With this mantra. It is just a ask for for her to fulfill all auspicious wants and bestow blessings on the practitioner.

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

यह साधना करने वाला more info व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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